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रोबोटिक्स: घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी का भविष्य

रोबोटिक्स: घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी का भविष्य


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ऑटोमेशन ने हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है, स्वास्थ्य सेवा भी इससे अछूता नहीं रहा। नई दवाईयों के विकास, इम्प्लांट्स, रिकॉर्ड बेहतर रूप से रखने और नए नैदानिक ​​​​उपकरणों के विकास सहित प्रौद्योगिकी ने स्वास्थ्य सेवा को कई तरह से बदला है। इन नई-नई तकनीकों के विकास ने घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी को बेहतर बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूसरी सभी जोड़प्रत्यारोपण सर्जरियों में से सबसे  प्रमुख होने के कारण घुटना प्रत्यारोपण ने शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकीविदों का ध्यान सबसे अधिक आकर्षित किया है। यह सर्जरी मुख्य रूप से आर्थराइटिस (ऑस्टियोआर्थराइटिस / रूमेटाइड आर्थराइटिस) के मरीजों के लिए की जाती है, जिनके जोड़ों में दर्द के कारण उनकीगति सीमित होती है। यह हड्डियों से संबंधित सबसे सामान्य समस्याओं में से एक है जो भारतीय मरीजों को प्रभावित करती है।

Dr Shekhar Srivastav
डॉ शेखर श्रीवास्तव, वरिष्ठ सलाहकार और एचओडी, हड्डी रोग विभाग, संत परमानंद अस्पताल, दिल्ली।

घुटना प्रत्यारोपण एक बहुत ही सटीक/सूक्ष्म सर्जरी है जहां प्रत्यारोपित किए गए इम्प्लांट के लंबे समय तक चलने और सामान्य रूप से कार्य करने के लिए उसका सही तरीके से फिट होना, उसकी स्थिति और संरेखण आवश्यक है। पारंपरिक तकनीकों में सर्जरी की योजना आमतौर पर एक्स-रे पर आधारित होती है, जिसमें इम्प्लांट्स के प्रत्यारोपण के लिए हड्डी के सिरों को फिर से आकार देने के लिए मैनुअल जिग्स उपलब्ध होते हैं। रोबोटिक सर्जरियों में सर्जरी की योजना पूरे पैर के सीटी स्कैन पर आधारित होती है, जिससे प्रत्येक घुटने के लिए एक अनुकूलित योजना तैयार करने में सहायता मिलती है। फिर सर्जन की देख रेख में रोबोटिक आर्म द्वारा इस योजना को निपुणता /उत्कृष्टता से क्रियान्वित किया जाता है।

यदि हम वर्तमान में उपलब्ध घुटना प्रत्यारोपण रोबोटिक प्रणालियों में अंतर करना चाहते हैं, तो उन्हें संक्षेप में निष्क्रिय, अर्ध सक्रिय और सक्रिय प्रणालियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। कुविस/क्युविस ज्वाइंट, पूरी तरह से सक्रिय जोड़ प्रत्यारोपण प्रणाली (इंफ्रा रेड कैमरे के साथ) है, जो सभी प्रणालियों में तकनीकी रूप से सबसे उन्नत है।यह पूरी तरह से स्वायत्त विधि है जिसमें कम से कम मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है जिससे मानवीय त्रुटियों और ऑपरेशन के दौरान(इंट्रा-ऑपरेटिव) संक्रमण की आशंका कम हो जाती है।इसके अलावा, प्रक्रिया के दौरान मरीज की हड्डी में किसी भी प्रकार की मूवमेंट का पता लगाने के लिए समयोचित हड्डी की निगरानी के साथ यह पूरी तरह सुरक्षित है। कुविस/क्युविसज्वाइंट सिस्टम विश्व की सबसे उन्नत प्रक्रिया है और दिल्ली का पूरी तरह से सक्रिय एकमात्ररोबोट सिस्टम है, जिसे पहली बार दिल्ली के संत परमानंद अस्पताल में स्थापित किया गया है।

डॉ शेखर श्रीवास्तव, हड्डी रोग विभाग के प्रमुख और रोबोटिक सर्जरी में प्रशिक्षित,अग्रणी घुटना प्रत्यारोपण सर्जन जिन्होंने दिल्ली शहर में पहली बार इस प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट किया है, का कहना है, “घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए क्यूविस / क्युविसज्वाइंट रोबोटिक टेक्नोलॉजी ने बेहतर तरीके से कार्य करने और लंबे समय तक चलने के लिए इम्प्लांट्स को सूक्ष्मता और सटीकता से सही संरेखण में लगाने के लिएएक मिलीमीटर (सब-मिलीमीटर)से भी छोटे आकार के कट लगाने की सुविधा उपलब्ध कराई है। ऑपरेशन के पहले कराए जाने वाला सीटी स्कैन मरीज के घुटने का 3-डी मॉडल बनाने में सहायता करता है ताकि प्रत्येक मरीज के लिए उसकी आवश्यकता के अनुसार एक व्यक्तिगत योजना बनाई जा सके। इस योजना को फिर रोबोटिक आर्म में डाला जाता है जो योजना को पूर्णता के साथ क्रियान्वित करती है। जहां तक योजना में बदलाव की बात है, यह सर्जन को रणनीति चुनने का विकल्प देता है और यदि आवश्यक हो तो सर्जिकल योजना को ऑपरेशन के दौरान भी बदल सकता है। ऑपरेशन के पहले जो व्यक्ति विशेष की आवश्यकतानुसार योजना बनाई जाती है, वह हड्डियों और कोमल ऊतकों को संरक्षित करने में सहायता करती है जिससे तेजी से और अपेक्षाकृत दर्द रहित रिकवरी होती है। इसके साथ ही सटीक फिटिंग और बेहतर संरेखन से इम्प्लांट सामान्य से अधिक समय तक चलता है।”

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